Tuesday, May 27, 2008

तलाश

अंधेरों में है जिन्दगी, उजालों की तलाश है।
जिनको मैं सुलझा पाऊँ , उन सवालों की तलाश है।।
आँखों मे सपने भी हैं, राहों में अपने भी हैं।
फ़िर भी एक तलाश है, जाने कैसी ये आस है॥
पाने की चाहत रहे, जिसकी हर इन्सान को।
तलाश तो चलती रहेगी, अपनी उस पहचान की॥
जाने कब पहुँचेंगे हम, मंजिल की दहलीज़ पर।
कभी तो मेहरबाँ होगी, तक़दीर इस नाचीज़ पर॥

1 comment:

Amit K Sagar said...

आप और भी अच्छा लिखें शुभकामनाये.
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